मेरे कान्हा जाने
मेरे कान्हा जाने बलदेव अपने परिवार के साथ सकुशल रह रहा था। सब कुछ ठीक चल रहा था परन्तु बलदेव हमेसा किसी न किसी परेशानी में उलझा रहता था या यूँ कहिये की वो कोई न कोई समस्या मोल ले लेता था। समस्या किस घर में नहीं होती पर क्या उन्हें लेकर चिंता में पड़े […]
बोध कथा भाग – 2 (पत्थर)
बोध कथा भाग – 2 (पत्थर) धनिया हिमाचल के अपने छोटे से गांव लखीमपुर में बड़े आनंद से रह रही थी उसके दो बेटे थे हीरा और जोगी, दोनों ही बड़े मेहनती थे। दोनों बच्चे अपनी माँ के हर काम में हाथ बटाते, इतने मेहनती बच्चे की खेत में काम करने के बाद घर […]
चिंता (बोध कथा भाग -1)
चिंता (बोध कथा भाग -1) फाल्गुनी अपने पति के साथ सुख पूर्वक उत्तर भारत के एक गांव हीरापुर में बड़े चैन आराम से जीवन व्यतीत कर रही थी। फाल्गुनी बचपन से ही बड़ी धार्मिक व् उच्च विचारों वाली थी। उसने उच्च शिक्षा प्राप्त की थी संस्कृत […]