मेरे कान्हा जाने

मेरे कान्हा जाने बलदेव अपने परिवार के साथ सकुशल रह रहा था।  सब कुछ ठीक चल रहा था परन्तु बलदेव हमेसा किसी न किसी परेशानी में उलझा रहता था या यूँ कहिये की वो कोई न कोई समस्या मोल ले लेता था।  समस्या किस घर में नहीं होती पर क्या उन्हें लेकर चिंता में पड़े […]

सुख दुःख की छाँव

                      सुख दुःख की छाँव अभी तो मेरी शादी ही हुई थी, मैं बड़े आनंदपूर्वक अपने वैवाहिक जीवन को जी रही थी सब कुछ तो ठीक ठाक चल रहा था।  जीवन में जब सुख के क्षण  होते हैं तो वक़्त को भी पर लग जाते […]