चिंता (बोध कथा भाग -1)
चिंता (बोध कथा भाग -1) फाल्गुनी अपने पति के साथ सुख पूर्वक उत्तर भारत के एक गांव हीरापुर में बड़े चैन आराम से जीवन व्यतीत कर रही थी। फाल्गुनी बचपन से ही बड़ी धार्मिक व् उच्च विचारों वाली थी। उसने उच्च शिक्षा प्राप्त की थी संस्कृत […]
बंजर कारखाने
बंजर कारखाने “आप आ गए, मैं आपके लिए चाय बना लाती हूँ, तब तक आप हाथ मुँह धो लीजिये तौलिया भी वहीं रखा हुआ है।” कहते हुए सीमा जल्दी से रसोई की और चली गई। प्रमोद भी थका हुआ था उसने ऑफिस की ड्रेस उतारी और जल्दी से हाथ मुँह धो आया। तौलिया से हाथ […]
सुख दुःख की छाँव
सुख दुःख की छाँव अभी तो मेरी शादी ही हुई थी, मैं बड़े आनंदपूर्वक अपने वैवाहिक जीवन को जी रही थी सब कुछ तो ठीक ठाक चल रहा था। जीवन में जब सुख के क्षण होते हैं तो वक़्त को भी पर लग जाते […]